दर्द की इंतेहा पार हुई जब सुलगने लगी मन की लकड़ी! दर्द की इंतेहा पार हुई जब सुलगने लगी मन की लकड़ी!
पर भूल गए करना धन्यवाद उनका- जिनके श्रम से था बना वो दीपक जिससे करी हमने आराधना ईश्वर की। पर भूल गए करना धन्यवाद उनका- जिनके श्रम से था बना वो दीपक जिससे करी हमने...
गुजरे हुए लम्हों के अनगिनत पत्ते , कुछ बुझी सुलगती यादों का धुआं, सिसकते दम तोड़ते ख् गुजरे हुए लम्हों के अनगिनत पत्ते , कुछ बुझी सुलगती यादों का धुआं, सिसकते दम ...
सब नाते अनजान सफर किसी का कोई अपना नहीं सब नाते अनजान सफर किसी का कोई अपना नहीं
कठोर हो निकला मैं, इतना कठोर कि अग्नि- पुत्र से मैं अग्नि- पिता बन चला कठोर हो निकला मैं, इतना कठोर कि अग्नि- पुत्र से मैं अग्नि- पिता बन चला
हमने भी कुछ सपने, बुन कर रखे थे मिट्टी के संग । हमने भी कुछ सपने, बुन कर रखे थे मिट्टी के संग ।